तलवार की नोंक पर I सारी ताकत झोंक कर I मन तो डोला परगना मानता है I तलवार की नोंक पर I सारी ताकत झोंक कर I मन तो डोला परगना मानता है I
तुम मुझसे अलग कहाँ तुम मुझसे अलग कहाँ
तुम्हारा दामन थामे जब चल दिये थे। तुम्हारा दामन थामे जब चल दिये थे।
प्रियतमा के नाम एक पत्र...... प्रियतमा के नाम एक पत्र......
ये कविता हर इंसान के लिए है, महज़ लड़कियों के लिए नहीं, हर उस इंसान के लिए, जो सांस ले रहा है, जी रहा ... ये कविता हर इंसान के लिए है, महज़ लड़कियों के लिए नहीं, हर उस इंसान के लिए, जो सां...
मुकद्दर की किस अदालत में करें सिफारिश तुम्हारे लिए जब गुनाह भी तुम, सजा भी तुम...! मुकद्दर की किस अदालत में करें सिफारिश तुम्हारे लिए जब गुनाह भी तुम, सजा भी तु...